
वह तेज़ी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ा चला जा रहा था कि पुल पार करते समय उसकी नज़र पटरियों के बीच रखे प्लासटिक-नुमा डिब्बे पर पड़ी। ‘कहीं इसमें बम तो नहीं’, आतंक-वादियों की सक्रिय होती गतिविधियों पर ध्यान जाते ही उसने सोचा और पलक झपकते ही डिब्बे को नदी में फेंक दिया। इसी बीच धड़धड़ाती हुई गाड़ी उसके निकट आ गयी। तब अपने बचाव का कोई दूसरा रास्ता न देख कर वह रेल की पटरी पकड़ नीचे लटक गया। गाड़ी के निकल जाने के बाद उसने ऊपर उठने की भरसक चेष्टा की किंतु असफ़ल रहा।
1 comment:
Atyant hi maarmik.. aur kuch der sochne par mazboor kar de aisee rachna.. par ye sab jaanane ke baad koi fir koshish karega rakshak banane ki...
Post a Comment